मेरे पड़ोस के लड़के गे थे
दिल्ली की कविता जब शादी कर के अपने पति के साथ लखनऊ जा कर रहने लगी तो उसने पहली बार गे लड़को को सेक्स करता देखा। कविता का कहना है की उसके पड़ोस में कुछ कॉलेज के लड़के किराये का मकान ले कर रह रही थे। जब कविता उनके घर किसी काम से गई तो उसे पता लगा की उन लड़को की साथ रहने की वजह पढाई नहीं बल्कि चुदाई थी। कविता अपनी कहानी मेरे पड़ोस के लड़के गे थे से हमें ये बताना चाहती है की लड़के चाहे कितने भी मर्दाना दीखते हो अंदर से कोई न कोई समलैंगिक होता ही है।