बाप से छुप कर माँ के साथ देसी चुदाई

लखनऊ का राजीव अपनी माँ के साथ छुपकर बनाता है यौन संबंध। अपनी कहानी में उसने बताया की जब उसके पिता जी घर पर नहीं होते थे तो माँ बेटा साथ करते थे कामुक शरारत। अपनी कहनी से राजीव ने हम सभी को ये सीख दी की चुदाई करने के लिए सिर्फ कमर चलाना ही नहीं बल्कि दिमाग चलाना भी जरुरी है।
उस दिन पापा काम से बाहर जा चुके थे। और मैं घर पर अपने कपडे धो रहा था तभी मेरे हाथ माँ की ब्रा लग गई। क्यों की मेरी माँ के स्तन काफी भारी थे उनकी ब्रा भी काफी बड़ी थी।
गन्दी ब्रा हाथ लग जाने पर मैं कामुक हो गया और मैं ब्रा को सूंघने लगा। उसमे से माँ के स्तनों के बीच बहने वाले पसीने की गंध आ रही थी।
मुझे वो बदबू भी काफी अच्छी लगने लगी और मैं सब भूल कर वही बैठा रहा। तभी माँ ने मुझे ऐसा गन्दा काम करता देख लिया और मुझे वही टोक दिया।
माँ – राजीव !! क्या कर रहे हो या ?
मैंने कहा – क्या ? कुछ भी तो नहीं।
माँ मेरे पास आई और मेरे लिंग को देखने लगी जो खड़ा था। उसके बाद उन्होंने मेरी छाती पर हाथ रखा और कहा काफी कड़क लगते हो ?
मैंने कहा – सॉरी ? मैं कुछ समझा नहीं।
माँ – जो तुम्हारे दिमाग मैं है वही मेरे दिमाग मैं है।
माँ के पिता जी से काफी झगड़े होते थे शायद इस लिए उनकी वासना कभी सही से शांत ही नहीं हो पाई।
माँ के मुँह से ये सुनते ही मैं आगे बढ़ा और ऊके स्तनो में मुँह देने लगा।
मैं ये सोच सोच कर हैरान हो रहा था की आखिर हुआ तो हुआ क्या। माँ बेटे का रिश्ता बस पल भर में कैसे बदल सकता है ?
अब मैं अपने बाप से छुप कर माँ के साथ देसी चुदाई करने वाला था उसके लिए मैं भाग कर गया और अपने कॉलेज के बैग से कंडोम निकाल लाया।
माँ – वाह बेटा बड़े हरामी हो !!
मैंने कहा – आखिर बेटा किसका हूँ !
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इसके बाद माँ ने अपने लंड हिलाना शुरू कर दिया और मुझे कामुक आनंद देने लगी।
माँ के साथ ये काम कर मुझे शर्म तो आ रही थी पर लंड से टपकती ख़ुशी की वजह से मैं रुक नहीं सकता था।
मैंने उनकी साड़ी का पलु गिराया और उनके स्तन मेरी हवसी आँखों से सामने आ गए। अब मजबूर हो कर मुझे माँ को उस तरह छूना पड़ा जिसका मेने सोचा भी नहीं था।
माँ नीचे बैठी मेरा लिंग हिला रही थी और मैं उनके स्तन दबाने लगा। माँ के ब्लाउज में हाथ दे कर मैंने उनकी चूची पकड़ ली और उंगलियों से मसलने लगा।
माँ का चेहरा देखने वाला था क्यों की उनकी आँखों का वो गहरा काजल उन्हें और सुंदर बना रहा था। और अहह की आवाज करते हुए माँ और ज्यादा कामुक लग रही थी।
मैंने उनके कंधे पकडे और उनके ब्लाउज के नीचे से अपना लिंग उनके स्तनों बे बीच घुसा दिया।
माँ ने अपने स्तनों में थूका और मैं वही खड़ा अपनी कमर हिलाने लगा। उस दिन मुझे पता लगा की चुदाई के लिए सिर्फ कमर नहीं चलानी चाहिए बल्कि दिमाग भी चलाना चाहिए।
अगर कुछ देर पहले मैं डर कर पीछे हट जाता तो अब मैं माँ के स्तन ना चोद रहा होता।
तभी माँ बोली – बस अब ये बच्चो वाला खेल बंद करो। और मेरी योनी का काम तमाम करो।
इसके बाद माँ मुझे बैडरूम में ले गई और वहा अपनी साड़ी उठा और गांड दिखाने लगी।
बस तभी मेरे गोटो ने धड़कना शुरू कर दिया और मैं वही उनके पीछे जा कर चिपक गया।
पीछे चिपक कर मैंने उनके अंदर अपना लिंग डाला और वही कमर हिला हिला कर माँ को मनभावन करने लगा।
माँ का एक पैर नीचे था तो दूसरा बिस्तर पर। स्तन हिला हिला कर मैं उनकी चुत की चुदाई कर रहा था और मुझे काफी आनंद आने लगा था।
कामुक माँ भी पीछे मुद कर मुझे तेज सासे लेते देखने लगी।
माँ – अहह बेटा अहह और करो बेटा मजा सा आ रहा है।
माँ की चुदाई करने मी मुझे काफी मजा आने लगा उनकी काली चुत काफी जवान और मिलायम थी।
ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ की मैं किसी बड़ी उम्र की औरत की चुदाई कर रहा हूँ।
गांड मारते हुए माँ के दोनों चुचे उछाल उछाल कर लाल होने लगे। दोनों चूची से हल्का हल्का दूध टपकने लगा।
ये देख मैं उनकी चूची और जोर दार और अड़े टेड़े तरीके से हिलाने लगा।
माँ की चुदाई और स्तनों की खिंचाई से माँ परशान हो गई और मुझे हरामी बेटा कहने लगी।
माँ – मुझे थोड़ी देर आराम करने दे हरामी बस कर !
मैंने कहा – आराम तो मैं भी करना चाहता हूँ पर माँ लंड की भी मजबूरी है।
गांड मारते मारते मैं अपने हाथो से उनके चूतड़ों पर झापड़ मारने लगा।
माँ किसी फिल्म की हीरोइन की तरह अदा दिखाने लगी। उसी वक्त मैं और तेजी से उनकी चुदाई करने लगा।
धको से माँ ने अपने शरीर पर काबू खो दिया और हम दोनों बिस्तर पर गिर गए।
गिरने के बाद भी मैं नहीं रुका और मशीनगन की तरह उनकी चढ़ाई करता रहा।
चुत पर पड़ने वाली मार से झापड़ की आवाज पुरे कमरे में गूंज रही रही थी। तभी मेरी नजर कमरे की खुली खिड़की पर पड़ी जहा से कोई भी हमें देख सकता था।
पर मैं अपनी चरम सीमा तक आ चूका था जिसकी वजह से मैं रुक नहीं पा रहा था पर माँ नई खिड़की देख ली और मुझे रुकने को बोलने लगी।
माँ – बेटा खिड़की खुली है कोई भी हमे देख लेगा रुक जा !!
पर मैं नहीं रुका और माँ की गांड चुदाई करता रहा। माँ कखड़ी हुई तो मैं भी उनकी चुदाई करता करता खड़ा हुआ।
उसके बाद माँ चलती चलती खिड़की बंद करने के लिए गई। पर पीछे से पड़ने वाले धको से उनका संतुलन बिगड़ा और वो खिड़की पर दोनों हाथ जमा कर वही रुक गई।
तभी मैंने उन्हें झुकाया और अपना लंड उनकी काली गीली चुत में देता रहा। अंत में माँ ने मुझे धका दिया और नीचे बैठ कर मेरा लंड जोर जोर से जल्दी जल्दी हिला हिला कर चूसने लगी।
माँ के जोर दार चुसो से मेरा शरीर थरथराने लगा और लंड में करंट सा लगने लगा।
जैसे ही माँ लंड चूसते चूसते मेरी आँखों में देखने लगी मैं वही अपना माल छोड़ने लगा।
माँ का पूरा मुँह मेरे माल से भर गया और उन्होंने वही मेरे पेरो के बीच सब थूक दिया।
उस चुदाई के बाद माँ मेरा अपनी अन्तर्वासना मिटाने के लिए इस्तेमाल करने लगी।
मैं हर अगले दिन बाप से छुप कर माँ के साथ देसी चुदाई करने लगा और मजे से माँ के शरीर से सारा कामुक रस निचोड़ने लगा।
ये थी मेरी माँ की देसी चुदाई कहानी जो मैं कई दिन से आप सब लोगो के साथ शेयर करना चाहता था। अपने सुझाव कमेंट कर के जरूर बताना।

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