स्त्री और समाज – 2

हैलो फ़्रेंड्स! कैसे है आप लोग आशा करती हूं आप ठीक ही होंगे। उम्मीद करती हूँ आपको कहानी का पहला भाग पसंद आया होगा । यदि आपने इस कहानी का पहला भाग नहीं पढ़ा हो तो आप पहले ‘स्त्री और समाज – 1’ पहले पढ़ ले, जिससे आपको ये भाग समझने और रोमांचित होने में ज्यादा मज़ा आये।
तो पिछले हिंदी सेक्स स्टोरी के भाग में आपने देखा कि  मैं भी अब मेरे पति रमेश से प्यार करने लगी थी और हमने सेक्स किया था । इसी तरह हम आराम से जीवन के मज़े ले रहे थे हफ्ते में एक दो बार वो मेरी चुदाई करते थे । अब मुझे भी सेक्स करने में मज़ा आने लगा लगा था कई बार मैं भी खुद से पहल करती थी चुदाई के लिए ।
ऐसी ही 5-6 महीने बीत चुके थे। मेरे पति की बहन और मेरी ननद जिसका नाम स्नेहा हैं अब वह भी हमारे साथ रहने लगी थी क्योंकि उसका कॉलेज भी स्टार्ट हो गया था जिस कारण वह अगले तीन साल हमारे साथ रहने वाली थी । वह भी सेक्सी फ़िगर की मालकिन हैं। और बहुत सुंदर भी हैं।
अब मेरे पति के दोस्त दीपक का भी आना जाना बहुत लगा रहता था । मैं अब काफी घुल मिल गयी थी दीपक से। हफ्ते में दो तीन बार तो वह आ ही जाता । एक बार जब स्नेहा हमारे साथ नही रहती थी तब मेरे पति और दीपक को बात करते हुए सुना था। तब वो दोनों नशे में थे। दीपक मेरे पति से बोल रहा था यार भाभी जी तो बहुत सेक्सी है तू तो बहुत लकी हैं तेरी तो रोज अन्तर्वासना भड़कती होगी भाभी जी को रात में अपने बिस्तर में देख। उसके जवाब में मेरे पति ने कहा हैं ” यार “।
फिर दीपक बोलता हैं तुझे तो भाभी जी की चुदाई करने में मज़ा आ जाता होगा उछाल उछाल के चुदती होगी तो रोज रात में। रमेश कहता है कैसी बात कर रहा है तू ।फिर वह बोलता हैं मुझे एक बार भाभी को चोदने का मौका दे। इस बात को सुनकर रमेश गुस्से से आग बबूला हो गया और बोला जबान संभाल के बात कर तेरी जगह कोई और रहता तो कब का मार दिया होता।
इस पर दीपक ने बोला अरे भाई मै मज़ाक कर रहा हूँ तू तो सीरियस हो गया। चल छोड़ और ये दारू पी। उस पल मुझे लगा कि मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते हैं और दीपक की नीयत खराब है।
एक दिन ये बहुत दुःखी होकर घर आये और बोले मुझे काम के सिलसिले में बड़े शहर जाना पड़ेगा जो हमारे शहर से 450 किलोमीटर दूर हैं । तूमको साथ भी नहीं ले जा सकता क्योंकि स्नेहा की पढ़ाई चल रही हैं और वहाँ पर मेरा कोई अच्छी सी रहने की व्यवस्था नहीं  हो पा रही है।
यदि मैं नहीं गया तो  वो मुझे नौकरी से निकाल देंगे । मैं भी परेशान थीं इनके बिना कैसी रहूंगी गांव भी नही जा सकते नही तो स्नेहा की पढ़ाई छूट जाएगी। मैंने हिम्मत रख के कहा आप हमारी चिंता मत कीजिए आप अपना काम कीजिए।
मैं सब संभाल लूंगी। उन्होंने कहा जान तुम कितनी समझदार हो तुम कहो तो मैं दीपक से बात करता हूँ उसके घर मे तुम लोग सुरक्षित रहोगे । मैंने उन्हें मन कर दिया क्योंकि पहले भी उसकी नज़र मुझ पे ही रहती थी उसके साथ कैसे एक घर मे कैसे रह सकती थी । भले ही वह इनका कितना ही अच्छा दोस्त हो।
फिर वह दूसरे शहर चले गये घर मे मैं और रिंकी बस रहते थे घर का सारा काम मुझे ही करना पड़ता था स्नेहा भी सुबह कॉलेज चली जाती और शाम को आती । कुछ भी सामान लेने जैसे किराना , सब्जी और भी आवश्यक चीज़े लेने मुझे ही जाना पड़ता था ।
लेकिन ये समाज के प्राणी किसी स्त्री को कहा आसानी से जीने देते हैं । गली के लफगंगे गंदे गन्दे कंमेंट करते। और शरीफ़ लोग भी बस नाम के ही शरीफ होते हैं। वो तो और ज्यादा घूर के देखते मानो अभी कच्चा खा जाएंगे मुझे देखकर अपना लंड सहलाने लगते मानो अभी मुझे रोड पे नंगी करके चोदने लगेंगे यकीनन उन लोंगो ने मुझे कल्पना में कई बार चोदा होगा इसमे कोई शक नहीं। दुकानदार सब्जी वाले भी सामान देने के बहाने मुझे छूने की कोशिश करते ।
और तो और मोहल्ले की औरतें भी एक से एक XXX कहानियाँ फैलाई जा रही थी । जैसे कि “इसका का तो पति बाहर रहता हैं ये अपने आप कितना मेंटेन करके रखती हैं जरुर ये कही जाके ठुकती होगी, मैंने तो सुना है दूध वाला भी हर रोज इसको सुबह पेल कर जाता है, दर्जी ने भी इसके बदन के हर एक हिस्से का नाप लिया हुआ है, मैन तो इसके घर से रात को चिल्लाने की आवाज सुनी रात को भी ये मज़े से चुदती है।“ वगेरह वगैरह। मतलब समाज ने मुझे एक नंबर की रंडी घोषित कर दिया था।
एक रात में पानी पीने उठी  तो सुना कहीं से चीखने चिल्लाने की आवाज आ रही थी मैंने देखी की वो आवाज़ स्नेहा के कमरे से आ रही थी जो रात के सुनसान माहौल में बाहर ऱोड तक जा रहीं थीं ध्यान से सुनी तो पता चला वह ब्लू फ़िल्म देख रही थी। अब मै समझ गयी थी वो औरते किस आवाज़ की बात कर रही थी । मैंने उसे डिस्टर्ब नहीं की और सोने चली गयी।
एक दिन रविवार को मैं और स्नेहा मार्केट से घर वापस हो रहे थे कि रास्ते पर कुछ मनचले हमारा पीछा कर रहे थे। गन्दे गन्दे कमेंट कर रहे थे। स्नेहा औऱ मैं जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी चलने की कोशिश कर रहे थे।
ये सोच के भी डर लग रहा था कि ये लोग घर तक पहुँच जाएंगे तो कही जबर्दस्ती घर में न घुस जाए। कुछ दूर आते ही हमारे सामने बाइक रुकी उसमें दीपक था । वह तुरंत उत्तर के उन मनचलों को चिल्लाया और ज़ल्दी भाग जाओ नहीं तो पुलिस को फ़ोन करता हूं।
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फिर वह लोग भाग गये। फिर दीपक ने हम लोग से कहा आइए आप लोगो को घर छोड़ देता हूँ नहीं तो फिर से आ जाएंगे। स्नेहा ने दीपक को थैंक यू भैया कहा और बाइक पर बैठ गयी फिर में भी बैठ गयी।
उसने हमको घर के सामने उतारा और किसी को फ़ोन लगाया । हम लोग घर के अंदर आ गये। कुछ देर बाद वह भी अन्दर और बोला आप लोग ठीक है अच्छा हुआ मैं वहाँ से गुजर रहा था तो आप लोगों को देख लिया नहीं तो पता नही वो लग आप के साथ क्या करते । मैंने जवाब दिया नहीं हम लोग ठीक हैं
फिर वह बोला ठीक है अब आप लोग यहाँ अकेले और नही रह सकतें, आप लोग मेरे साथ मेरे घर पर रहेंगे। मैंने रमेश से को भी सब बता दिया है यहाँ के हालातों के बारे में वह भी मेरी बात से सहमत हैं।
फिर मैंने कहा हम लोग आपके घर मे कैसे रह सकते है फिर उसने मेरी बात काटते हूए कहा आप चाहे तो रमेश से बात कर लीजिये। फिर मैंने रमेश को कॉल किया और उससे बात की तो रमेश ने कहा देखो माहौल खराब चल रहा है दीपक मेरे भाई जैसा है तुम लोग दीपक के घर पर उसके साथ सुरक्षित रहोगे ।
मुझे दीपक पर भरोसा हैं वह तुम लोगों का अच्छे से ख्याल रखेगा, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और मुझे तुम पर भी भरोसा है भलायी इसी में है कि तुम लोग दीपक के साथ उसके यह रहने लगो। फिर मैं रमेश की बातें सुनकर दीपक के घर में रहने के लिए मान गयी। फिर हमने बैग तैयार किया इर जरूरत की सारी चीजें लेकर उसके घर चले गये।
हम दीपक के घर पहुँच गये थे उसके घर में आँगन था जो लगभग हरियाली से भरा था। उसके घर में दो बेडरूम एक किचन, एक हॉल और एक बाथरूम था जिसका सभी लोग इस्तेमाल करते थे। दीपक ने हमसे कहा – आप और स्नेहा एक रूम में और मैं दूसरे रूम में सो जाऊंगा।
काफी टाइम हो गया था तो दीपक बाहर से खाना ऑर्डर किया और फिर हम सो गए। अगली सुबह मैं ज़ल्दी उठ के फ्रेश होकर किचन की और नाश्ता बनाने लगी । छोड़ी देर बाद दीपक भी उठ गया और बोला भाबीजी आपको ये सब करने की जरूरत नहीं मैं कर लूँगा।
मैं बोली एक तो हम लोग आपके घर मे रह रहे हैं और आप हमें काम भी  करने नहीं दे रहे हैं फिर वह कहता है आप नौकरानी थोड़ी हैं जो आप सब काम करेंगी आप ऐसे अपना ही घर समझे।
फिर मैं कहा मैं अपना घर समझ कर रही काम कर रही हूँ मैं अपने घर में खाना साफ सफाई खुद ही करती हूँ आप मुझे काम करने दे। फिर वह बोला ठीक है भाभी जी आप काम कीजिए इसी बहाने मुझे स्वादिष्ट खाना खाने मिलेगा ।मैंने कही बिल्कुल ओर हल्की सी स्माइल की। फिर वह हॉल में चला गया। अब स्नेहा भी उठ गयी थी और वह दीपक से बातचीत कर रही थी ।मैंने चाय नाश्ता तैयार की और उनकी और हॉल में चली गयी।
फिर हमने साथ बैठकर नाश्ता किया और बातचीत की बात करते समय बार बार दीपक मेरी और देख रहा था मैं समझ नहीं पा रही थीं वह क्या देख रहा है फिर मैंने अपनी ओर देखी तो पता मेरी ब्लाउज का एक हुक खुला है मैं बहुत शर्मिंदा हुई और अपने कमरे में चली गयी सुबह जल्दी काम करने के चक्कर में ध्यान ही नहीं दी मैं उम्मीद कर रही थी स्नेहा का ध्यान इस और नहीं गया हो नहीं तो वो गलत समझ लें।
फिर मैंने दोनो का टिफिन पैक किया और दोनों चले गए। फिर मैंने घर  की साफ सफाई करने लगी। फिर वह लोग शाम को घर आ जाते ऐसे कुछ दिन बीत गए ।
एक दिन जब वेकेशन था सब लोग गहरा पर ही थे में गार्डन में पौधों को पानी डाल तभी पड़ोस में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला मेरे पास आयी और बोली कैसी हो बेटी? मैंने कही ठीक हूँ आंटी जी आप बताये? उन्होंने कहा मैं भी ठीक हूँ और तुम्हारे पति कैसे है? मैंने वो भी ठीक है वो अभी। मैं बोल ही रही थी कि उन्होंने मेरी बात काटते हुए कहा दीपक जितना बता रहा तुम उससे भी खूबसूरत हो वो लकी हैं कि उसको तुम जैसी पत्नी मिली ।
फिर मैं आश्चर्य से बोली नहीं आंटी जी लेकिन उन्होंने फिर मेरी बात काटते हुए कहा, हाँ दीपक ने बताया था तुम लोगों की शादी बहुत जल्दी में और कठिन परिस्थिति में हुई। मैं उनसे कुछ न बोली और गुस्से से अंदर दीपक से बात करने चली गयी । मैंने अंदर जाके दीपक से गुस्से में कहा, दीपक जी वो पड़ोस वाली मुझसे बोल रही है मैं तुम्हारी बीवी हूँ ये सब क्या है? फिर वह बोला तुम बैठो मैं समझाता हूँ तुमको।
मैं गुस्से उससे बोली मुझे सच बताओ तुमने ऐसा दुसरो से क्यों बोला?  फिर वह बोला– तो और क्या बोलता? की ये मेरे दोस्त की बीवी और मेरे साथ रहती है तुम तो जानती हो ये समाज का नजरिया कैसा हैं यहाँ मुझे हर कोई जानता हैं लोग हमें गलत ही समझते हमारे बीच गंदे सम्बधों की अवपाह उड़ाते।
मैं भी एक इज्जतदार आदमी हूँ मेरी भी कोई इज्जत हैं। फिर मैंने बोली तुम मुझे अपनी बहन भी तो लोगों  को बता सकते थे ।
फिर वह बोला एक दो दिन बात होती तो बोल भी देता लेकिन हमें कई महीनों साथ रहना है ऊपर से तुम मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर लगा के हमेशा रहती हो यदि मैं तुम्हे बहन बोलता तो वो मुझसे पूछते तुम्हारी बहन का पति कौन हैं ? और उसके साथ तुम्हारी बहन क्यो नही रहती? वगैरह वगैरह।
इसीलिए मुझे यही सही लगा तो मैंने लोगो को बोल दिया कि तुम मेरी बीवी हो और स्नेहा तुम्हारी बहन मतलब मेरी साली ।  यह सब बातें स्नेहा भी सोफे पर बैठकर सुन रही थी फिर वह मुझसे बोली, ठीक है ना भाभी मुझे लगता हैं भैया ने सही किया आप तो समाज और सोसाइटी के बारे अच्छे से जानती हैं लोग कैसी कैसी बातें बनाते हैं आप ज्यादा ही सोच रही हो।
फिर मैंने बोली रमेश क्या सोचेगा मेरे बारे में? फिर दीपक बोला मैंने इस बारे में पहले ही रमेश से बात कर ली हैं उसे कोई बुराई नहीं हैं तुमसे न मुझसे उसने जो स्नेहा और तुम्हारे लिए ठीक रहेगा वही करो । फिर मैंने कहा रमेश वापस आ जायेगा तो तुम क्या बोलोगे लोगों से। उसने कहा मैं बोल दूंगा कि तुम्हारा और मेरा डिवोर्स हो चुका हैं ।
थोड़ा सोचने के बात मैं उन दोनों की बात मान गयी। फिर मैंने कही आगे कैसा करेंगे। दीपक बोला फ्यूचर में ऐसी कई परिस्थितियाँ आ सकती हैं। इसलिये हमको तैयार रहना है। हम लोग एक दूसरे को रियल रिलेशन से नहीं बुलाएंगे स्नेहा तुम भाभी को दीदी बुलाओगी और मुझे जीजू ।इस पर स्नेहा ने कहा ठीक है मुझे कोई प्रोब्लम नहीं हैं।
दीपक ने मुझसे कहा तुम जैसा मुझे बोलती हो दीपक जी वैसे ही बुलाओगी इसमे कोई प्रॉब्लम नहीं है और मै तुम्हें तुम्हारे नाम से सोनाली कह कर पुकारूंगा वैसे भी मैं तुमसे उम्र में बड़ा हूँ तो तुमको कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। मैं कहा ठीक है हैं मुझे कोई दिक्कत नहीं हैं।
फिर वह बोला कि इन सब चीज़ों की आदत लग जाये इसीलिये हम घर पर भी चाहे अकेले ही हम इनका प्रयोग  करेंगे किसी कोई दिक्कत? स्नेहा ने बोली नहीं और हम अपने काम में लग गये।
फिर शाम को घर के दरवाजे की बेल बजी मैंने घर का दरवाजा खोला तो एक औरत थी मेरी ही उम्र की लग रही थी मैंने कही आप कौन? वह बोली मैं आपके पड़ोस में ही रहती हूँ आपकी पड़ोसी हूँ। मैंने उनसे कहा आइये अंदर बैठिये । फिर हम बातें करने लगे वह मुझसे पूछती कि तुमको दीपक से प्यार कैसे हुआ।
अब मैं क्या बोलती वह तो बोलने भर के लिए है उससे तो कभी प्यार हुआ ही नहीं और वो मेरा असली पति हैं भी नहीं फिर भी मैंने कहानी बना के उसको सुना दी कि कॉलेज में हमे प्यार हुआ था और फिर शादी कर ली ।
अभी हम इतने अच्छे से मिले भी नहीं थे कि वह मुझसे मेरी सेक्स लाइफ के बारे में पूछने लगी। दीपक बिस्तर पर कैसा है? तुम्हारी अच्छे से चुदाई करता हैं या नहीं? दीपक का लण्ड कितना बड़ा है तुम्हें कितनी बार चोदता हैं।
उसकी ये सब बातें सुनकर  बड़ा अजीब लग रहा था जब वो ये सब बोल रही थी तब मेरी आँखों के सामने स दीपक मुझको चोदता हुआ दिखाई दे रहा था उसका लण्ड काफी बड़ा दिख रहा था और मैं भी चिल्ला चिल्लाकर मज़े से चुद रही हूँ।
ये सब सोच के मेरमेरा दिमाग खराब हो रहा था मैंने उससे कहा ठीक है। फिर अंदर रूम से अचानक दीपक निकला और बोला सोनाली डार्लिंग! नई फ्रेंड बना ली तुमने क्या बातें चल रही हैं? मैं मन ही मन सोच रही थी कितना हरामी हैं अभी कुछ घंटे ही हुए हैं और ये सीधे सोनाली डार्लिंग में आ गया।
फिर रिया(मेरी पड़ोसन का नाम) बोली कुछ नहीं गर्ल्स टॉक। फिर दीपक मेरे पास आकर बैठा और मेरे गले में हाथ डालकर बैठ गया और मेरी हाथ की मशल्स को दबा रहा था। मैंने उसको घूर के देखा तो वो मेरी ओर देख के मुश्कुरा रहा था । मैं उसका हाथ हटाते हुए वहाँ से उठी और कहा आप लोग बातें कीजिए मैं चाय बनाकर लाती हूँ। फिर में चाय बनाने किचन में आ गयी।
किचन में मैंने महसूस की कि मेरी चूत गीली हो चुकी हैं मैं समझ गयी कि जब रिया मुझसे दीपक मेरी चुदाई कैसे करता हैं के बारे में पूछ रही थी तब हुआ है। फिर मैंने अपने आप को साफ किया और चाय लेकर उनके पास गई ।
फिर रिया ने अपने पति के बारे में बताया कि मेरा पति ऐसा है मेरा पति वैसा हैं वगैर वगैरह। और फिर उसने हमें डिनर के लिए इनवाइट किया दीपक ने तुरंत हाँ कर दी। फिर वह चली गयी। फिर मैंने दीपक से पूछा तुम ये सब जो कर कर  रहे थे कुछ ज्यादा नही हो रहा। उसने कहा नहीं मैं सिचुएशन को रैलास्टिक बना रहा था ताकि किसी को हम पर शक न हो। फिर में वहा से उसे बिना जवाब दिए चली गयी।
स्नेहा भी उसकी फ्रेंड के यहाँ बर्थडे सेलेबर्ट करने चली गयी थी। फिर हम नाईट में दोनों तैयार होके रिया के यहाँ डिनर करने चले गये । वहा हम पहुँचे और रिया ने हमारा वेलकम किया। फिर उसने अपने पति से मिलवाया। उसके पति को देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी। उसका पति और कोई नहीं मेरा कॉलेज का आशिक राहुल था।
आगे की स्टोरी आपको अगले भाग में मिलेगी जो जल्द ही आएगी । इस बार खाफी देर हो गयी इसके लिए माफी चाहती हूँ।
आपको मेरी कहानी स्त्री और समाज – 2 किसी लगी मुझे [email protected]   में मेल करके जरूर बताये।

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