पहलवान के साथ गाँव की देसी चुदाई

राजीव अपने गाँव के इकलौते पहलवान थे उन्हें कसरत और कुश्ती करना काफी पसंद था। पर आधी रात में राजीव को सुंदर और भारी लड़कियों के साथ कुश्ती लड़ना भी काफी पसंद था। राजीव का कहना है की उसे अपने गाँव में बस एक ही लड़की से प्यार था। अब राजीव ने ऐसा क्या किए जिस से वो लड़की सेक्स के लिए मान गई ये तो राजीव की कहानी गाँव की देसी चुदाई पड़ कर ही पता चलेगा।
कहानी हमारी पाठकों को अच्छे से समझ आये इस लिए हमने लेखक को सरल हिंदी इस्तेमाल करने को कहा। ये कहानी सिर्फ कामुक मनोरंजन के लिए है इसलिए कहानी को पड़ कर असली जिंदगी में कुछ न करे।
अगर आप कभी किस गाँव जाते है तो आपको वहा की किसी लड़की को जरूर पटाना चाहिए क्यों की उसके बाद ही आपको पता लगेगा की गाँव की देसी चुदाई का मजा क्या होता है।
मेरा नाम राजीव है और मैं अपने गाँव का सबसे हटा कटा पहलवान हूँ। मेरी चौड़ी छाती और ताकतवर शरीर देख हर औरत कामुक हो जाती। मुझे कई सारी औरते मन ही मन पसंद करती थी जिस कारण मैंने कई सारी अलग अलग लड़कियों के साथ सेक्स किया।
पर रंडी चोदना किसे पसंद है आखिर ? रंडियो की गांड चुदाई करते करते मैं थक गया और अब मैं बस एक ही लड़की को चोदना चाहता था। उस लड़की का नाम नीलम था जो गाँव के सबसे आमिर आदमी की लड़की थी।
अब नीलम तो काफी पढ़ी लिखी लड़की थी मैं जब भी उसके पास जाता तो घबरा जाता। उसका बात करने का तरीका और मटकती गांड देख मेरे शरीर से पसीने और लंड से पानी छूटने लगता।
अब हार मान कर मैं आप लोगो की तरह हिंदी सेक्स कहानियाँ पड़ने लगा और अपने लिंग पर जोर से मुठ मारने लगा। मेरा ये काम रोज का हो गया था। मैं बस आंखे बंद करता और नीलम के लटके स्तन और पानी टपकती चुत के सपने देखता रहता।
उन दिनों मुझे ये भी पता लगा की मेरे पड़ोस के लड़के गे थे इसलिए वो मुझे घूर घूर कर देखते थे और मुझे लगता था की वो लोग मेरी बॉडी से जलते है और मेरी जैसी बॉडी बनाना चाहते है।
उसके कुछ दिन बाद नीलम अपने पिता जी के खेतों में चल रहा काम देखने आई थी। उनके पिता जी ने मजदूरों को पैसा दे कर अपने खेत में काम करने के लिए बुला रखा था।
तभी मैं भी कहा अपने साथियों के साथ। उस दिन नीलम को देख मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और मेरे दोस्तों ने कहा जा साले जा। साथियों के सामने झंड न हो जाये इस लिए मैं नीलम के पास जा कर खड़ा हो गया।
मुझे देखते ही नीलम की दोनों सहेलिया शर्मा कर हसने लगी तो मेरी छाती गर्व से चौड़ी हो गई।
नीलम – तुम तो राजीव हो न ?
मैंने कहा – हाँ हाँ !!
मेरी उत्सुकता देख नीलम की सहेलियां समज गई की मैं नीलम से क्या चाहता हूँ। उन दोनों ने नीलम का हाथ पकड़ा और उसे दूर लेजा कर कुछ कहने लगी।
उन तीनो के बीच किया खिचड़ी पक रही थी मुझे तो पता नहीं लगा पर उसके बाद जो हुआ काफी मजेदार था। बात करने के बाद नीलम मेरे पास आई और उसकी दोनों सहेलियां वहां से चली गई।
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नीलम – तुम यहां मेरा खेत देखने आये हो क्या ?
मैं आया तो नीलम के कामुक शरीर को देखने था पर जब नीलम ने ये पूछा तो मेरे मुँह से हाँ निकल गई।
उस दौरान मैंने देखा की सहेलियों से बात करने के बाद नीलम के हाव भाव ही बदल गए। मेरे हाँ बोलने के बाद नीलम ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींचते हुए अपने खेतों में ले गई जहा मुझे देसी चुदाई करने का मौका मिला।
कुछ देर कर हम दोनों ने दिल खोल कर बाते की और सब कुछ सही जा रहा था। उस वक्त मैंने अपने  अस पास देखा तो कोई नहीं था और हम दोनों अनाज के खेत में थे।
अपने आप को नीलम के साथ अकेला पा कर मेरी अन्तर्वासना बढ़ने लगी और मैं नीलम को हवसी आँखों से देखने लगा। मेरी नज़र सिर्फ नीलम के दूधो पर थे जिस वजह से मेरा लिंग अकड़ गया।
मैंने नीलम की गर्दन पर हाथ रखा और कहा ” मुझे तुम्हारे साथ चुदाई करनी है !! ”
नीलम – क्या ?? छी हमे लगा था की तुम तो सिर्फ प्यार से बतियाने आए हो।
मैंने नीलम की सलवार में हाथ घुसाया और उसकी चुत रगड़ने लगा। नीलम मेरी आँखों में दिलचस्पी देख कामुक होने लगी उसने अपने कोमल हाथ मेरे कंधे पर रखा और मेरा मुँह पास खींच कर मेरे होठों पर चूमने लगी।
आज नीलम न होती तो मैं अब भी क्सक्सक्स की कहानी पड़ कर अपना लंड हिला रहा होता। उसके बाद हम दोनों ने खेत में ही सेक्स करना चालू कर दिया। मैंने नीलम का सूट उतरा और उसे स्तनों पर अपना थूक गिरा गिरा कर चाटने चूसने लगा।
जल्द ही नीलम की चुत गीली होने लगी और मेरा लंड भी लसलसा होने लगा। अब मैं करता भी तो क्या लड़की मेरे सामने चुत खोले लेटी थी और मुझे लंड की मजबूरी थी।
मैंने नीलम की सलवार का नाड़ा खोला और कच्छी उतार कर उसकी चुत देखने लगा। नीलम की चुत गुलाबी लाल थी और उसमे से पानी टपक रहा था।
तभी नीलम ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी दो ऊँगली ले कर अपनी चुत में घुसाने लगी। उस वक्त मुझे पता लगा की रंडियो की चुत चोदने से मुझे मजा क्यों नहीं आता था।
नीलम की चुत टाइट थी और ऊँगली डाल कर मुझे ये पता लग गया था की इस चुत की चुदाई आज तक कोई नहीं किया।
मैंने जल्दी से अपनी पैंट और चपल उतारी और नीलम को जमीन पर लेटा कर उसकी चुत में लंड देने लगा। भोसड़े में लंड जाते ही मेरे लंड को जो गर्माहट मिली उस से मुझे मज़ा ही आ गया।
नीलम चुदाई करते हुए मेरी छाती और कंधो पर हाथ फेरने लगी। उसे मेरा मर्दाना और पहलवान शरीर काफी पसंद आ रहा था।
कंधे और छाती सहलाते हुए वो मेरी चूतड़ों को भी हाथ लगाने लगी और मुझे अजीब सा मजा देने लगी। कुछ देर बाद मैंने नीलम को कस कर गले लगा लिया और अपनी कमर हिला हिला कर लोढ़ा अंदर बाहर देता रहा।
चुदाई में मुझे काफी मजा। नीलम के मुलायम दूधो में अपना मुँह दे कर मैं उसकी टाइट चुत चोदे जा रहा था।
नीलम – अहह अहह उठ उह्ह्ह नहीं इतना तेज मत करो !!
मैंने कहा – क्यों क्या हुआ ??
नीलम – नहीं मैंने आज तक सिर्फ अपनी दो ऊँगली का इस्तेमाल किया है तुम्हारा काफी बड़ा है मेरे लिए !!
मैंने कहा – अहह अहह !!! थोड़ी देर सहन कर लो ना !!
नीलम – नहीं अब मुझे जलन हो रही है नीचे !!
मैंने नीलम की एक बात न मानी क्यों की मैं उस वक्त झड़ने वाला था। मैंने नीलम का सर पकड़ा और उसके होठों और जीभ को जम कर चूसने चूमने लगा।
नीलम के बड़े होठों किसी गुलाब की पंखुड़ी जैसे थे। चूमते हुए हम दोनों का मुँह थूक से लसलसा हो गया और साथ ही चुत लंड ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
नीलम अपनी चुत से सफ़ेद माल चढ़ने लगी और मैं अपने लंड से सफ़ेद पिचकारी। हम दोनों के लिंग इतनी गंदे और चिपचिपे हो गए की बस हमे जल्द से जल्द नहाने का दिल करने लगा।
झड़ने के बाद भी मैं नीलम को किसी फूल की तरह देखने लगा जिसे मैं तोड़ना चाहता था। मैंने नीलम की गन्दी चुत से अपना लोला निकाला और उसे बेशर्मो की तरह फिरसे चाटने लगा।
नीलम की चुत का स्वाद कीच अच्छा तो नहीं था पर उस वक्त मैं नीलम की सिसकियाँ निकलवाने के लिए कुछ भी कर सकता था। अब इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद मेरे लोडे में तो जान थी नहीं पर मैं फिर भी नीलम को खूब चोदना चाहता था।
इसलिए मैंने नीलम की चुत गांड चाटना शरूर कर दिया। करीब 20 मिनट बाद नीलम ने फिरसे अपनी चुत से पानी निकला और उसके बाद वो बेहोशी की हालत में चली गई।
चुदाई करते करते शाम के 7 बज गए और अँधेरे में ये सब करना कुछ ठीक नहीं था। मैं चाहता तो नीलम की चुत से 3 से 4 बार पानी और निकाल सकता था क्यों की वो पुरे मूड में थी पर मैंने ऐसा नहीं किया।
कुछ देर नंगा आराम करने के बाद हमने कपड़े पहने और मैंने नीलम को उसके घर छोड़ दिया। उस दिन के बाद नीलम मेरे मर्दाना शरीर से प्यार कर बैठी और अब वो मेरी प्रेमिका है।
ये बाद नीलम की सहेलियों के अलावा किसी को नहीं पता थी। हमने कई बार और सेक्स किया और मुझे हर बार नीलम का थुल थुला शरीर चोदने में मजा आया। तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी गाँव की देसी चुदाई अगर अच्छी लगी तो जरूर बताना।

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